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बुधवार, 10 अक्तूबर 2012

तुम होते तो अच्छा होता

उसी मोड़ पे आ रुखा था मैं कुछ दिन पहले
जहाँ हुई थी हमारी आखरी मुलाकात..
 मुकुन्दगढ़  के जिन सड़को पे,
हम घूमते रहते थे दीवानों की तरह
उन्ही सड़को से गुज़रा इस बार
 कितनी बातें याद आयीं..
लगा एक पल ऐसा की तुम आ ही जाओ शायद,
अचानक से मेरे सामने..

तुमसे दूर हुए एक ज़माना हो गया,
फिर भी हर पल तुम्हारा तसव्वुर मेरे साथ है 
याद है वो भी, जब तुम बुलाते मुझे मुलाकात के लिए..
और मेरे देर से आने पे,
मेरी हर बातों का जवाब देते तुम इनकार में..
मैं तुम्हें मनाता फिर बड़े ही प्यार से,
तुम्हारी उन आँखों में,
न जाने कितने लम्हे बीतें मेरे..
अब उन्ही लम्हों को याद करता हूँ..

जब  से गए हो तुम,
दिल की ख़ुशी भी गयी..
मुस्कुराता हूँ, हँसता हूँ
लेकिन मत पूछो दिल की हालात है क्या..

जो है लिखा किस्मत में वही होगा,
हम  चाहे कितनी भी खवाहिशें कर लें,
लेकिन तुम होते मेरी किस्मत में 
तो अच्छा होता..
तुम होते तो अच्छा होता

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