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गुरुवार, 8 नवंबर 2012

आ जाओ लौट कर तुम




















तुम बिन क्या है जीना
क्या है जीना
तुम बिन क्या है जीना

तुम बिन जिया जाए कैसे
कैसे जिया जाए तुम बिन
सदियों से लम्बी हैं रातें
सदियों से लम्बे हुए दिन
आ जाओ लौट कर तुम
ये दिल कह रहा है

फिर शाम-ए-तन्हाई जागी
फिर याद तुम आ रहे हो
फिर जां निकलने लगी है
फिर मुझको तड़पा रहे हो
इस दिल में यादों के मेले हैं
तुम बिन बहुत हम अकेले हैं
आ जाओ...

क्या-क्या न सोचा था मैंने
क्या-क्या न सपने सजाए
क्या-क्या न चाहा था दिल ने
क्या-क्या न अरमां जगाए
इस दिल से तूफ़ां गुजरते हैं
तुम बिन तो जीते न मरते हैं
आ जाओ...

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