कुछ हालात भी देख, कुछ दुश्वारी भी सुन। ऐ ज़िंदगी! कुछ हमारी भी सुन।।
welcome
बुधवार, 10 अक्टूबर 2012
ज़िंदगी जियो अपने अंदाज़ में...
हमने उदासी को अपनी आदत कहना नहीं सीखा।
गुमसुम किसी भी हाल में रहना नहीं सीखा।।
बदले हैं हमने हरदम दरियाओं के रुख़,
दरिया के साथ हमने बहना नहीं सीखा।।
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